BPO, KPO, LPO Full Form | जानिए बीपीओ केपीओ एलपीओ क्या है?
आपने अक्सर युवाओं को बेरोजगारी के मार से बचने के लिए BPO COMPANIES में काम करते हुए देखा होगा. BPO में नौकरी पाने के लिए अधिक QUALIFICATIONS की जरुरत नहीं होती है. इसीलिए कम पढ़े-लिखे युवाओं को भी इन COMPANIES में आसानी से JOB मिल जाती है लेकिन इसके विपरीत KPO और LPO भी होते हैं जिनमें नौकरी करने के लिए आपको काफी SKILLED होना पड़ता है. तो आज इस आर्टिकल में हम BPO और उसकी SUBSETS KPO और LPO के बारे में जानेंगे.
1) BPO Full Form / बीपीओ का मतलब क्या है?
FULL FORM OF BPO- BUSINESS PROCESS OUTSOURCING
BPO Meaning in Hindi: आपने कॉल सेंटर शब्द तो सुना ही होगा. कॉल सेंटर को ही बीपीओ कहा जाता है. जिसकी फुल फॉर्म होती है BUSINESS PROCESS OUTSOURCING. BPO किसी THIRD PARTY के SERVICE PROVIDER को किया गया एक SPECIFIC BUSINESS WORK CONTRACT है, जैसे पेरोल, मानव संसाधन (Human Resource) या
अकॉउंटिंग आदि. यानि जब कोई कंपनी अपने BUSINESS PROCESS को किसी THIRD PARTY को OUTSOURCE करती है है तो उसे BPO यानि BUSINESS PROCESS OUTSOURCING कहा जाता है.
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Offshore outsourcing & Nearshore Outsourcing Kya hai?
बता दें भारत देश outsourcing के मामले में नंबर एक पर आता है. BPO जिसमें किसी company को देश के बाहर contract किया हो उसे Offshore Outsourcing कहते हैं. वहीं, जिसमें किसी पड़ोसी देश (या आसपास) की कंपनी से contract दिया जाता है उसको Nearshore Outsourcing कहा जाता है.
BPO Categories Kya hai?
Bpo की दो categories होती हैं- Business process outsourcing को दो वर्गों में बांटा गया है जिसमें एक है बैक ऑफिस आउटसोर्सिंग और दूसरा है फ्रंट ऑफिस आउटसोर्सिंग.
1) Back office outsourcing – इस कैटेगरी में किसी business को internal काम आता है जैसे मानव संसाधन (Human resource), वित्त (Finance) और लेखांकन (Accounting).
2) Front office outsourcing- इस कैटगरी में costumer संबंधित सेवा जैसे contact service center शामिल है.
Types of BPO ki Jankari
BPO दो तरह के होते हैं-
IN BOND BPO – इस प्रक्रिया के तहत COUSTMERS अपने समस्याओं को लेकर कॉल सेंटर में कॉल करते हैं.
उदाहरण- जैसे किसी E-COMMERCE WEBSITE या BANK में समस्या के लिए आप खुद से कॉल करते हैं और अपनी समस्या का हल जानते हैं.
OUT BOND BPO – वहीं, इस प्रक्रिया के तहत COUSTMER CARE खुद COUSTMERS को कॉल करते हैं.
उदाहरण- आपने कई बार देखा होगा कि क्रेडिट कार्ड या सिम पोर्ट कराने के लिए आपको कस्टमर्स केयर से खुद कॉल आते हैं.
2)WHAT IS KPO / केपीओ का मतलब & फुल फॉर्म क्या है?
Full Form of KPO- Knowledge Process Outsourcing
Meaning of KPO in Hindi – आपने BPO के साथ साथ कई बार KPO का नाम तो सुना होगा. ज्यादातर लोग BPO के बारे में जानते हैं लेकिन KPO के बारे में नहीं पता होता तो चलिए जानते हैं कि KPO क्या होता है. KNOWLEDGE PROCESS OUTSOURCING यानि ज्ञान प्रक्रिया आउटसोर्सिंग भी BPO की तरह OUTSOURCING का ही रुप है.
आपके CONFUSION को दूर करने के लिए बता दें कि KPO, BPO का ही एक SUBSET होता है. BPO की तरह KPO का CONCEPT भी SAME होता है जिसमें कोई भी बड़ी ORGANIZATION या FIRM अपने किसी काम को THIRD PARTY को सौंपती है. KPO किसी भी कंपनी का एक INTEGRAL यानि अहम हिस्सा होता है.
KPO, BPO का HIGHER LEVEL होता है. इस प्रोसेस के तहत किसी FIELD के EXPERT के रुप में सर्विस दी जाती है. आजकल कंपनियां अपने BUSINESS के विस्तार के लिए THIRD PARTY COMPANIES को HIRE करती है जो उन्हें BPO, KPO जैसी सर्विस प्रदान करती हैं.
KPO, knowledge और information आधारित services से संबंधित होता है. इसके लिए higher education जरुरी है.
केपीओ सेवा के कुछ उदाहरण हैं – research & development, business and market research, network management, medical services, etc.
Bpo और KPO में ज्यादा अंतर नहीं होता है. बता दें कि BPO में जॉब करने के लिए जहां बुनियादी पढ़ाई चाहिए होती है वहीं KPO में नौकरी करने के लिए HIGHER EDUCATION की आवश्यकता होती है. BPO में सर्विस प्रोवाइडर्स कंपनियों को कंपनी के BASIC LEVEL के काम करने होते हैं वहीं KPO के तहत THIRD PARTY को कंपनी के ADVANCE LEVEL के काम करने होते हैं. जिसमें मार्केट रिसर्च, रिसर्च एंड डिवलेपमेंट आदि. KPO कंपनियों में काम करने वाले स्टाफ को काफी SKILLED होना पड़ता है.
KPO में क्या-क्या काम शामिल होता है-
1) Legal services,
2) Services related to intellectual property
3) Patent-related services,
4) Engineering services,
5) Web development,
6) CAD/ CAM applications,
7) Business research and analysis,
8) Legal research,
9) Medical research,
10) Publication and
11) Marketing research
3) WHAT IS LPO / एलपीओ का मतलब और Full Form क्या है?
FULL FORM OF LPO- LEGAL PROCESS OUTSOURCING KYA HAI?
MEANING OF LPO– LPO भी आउटसोर्सिंग का ही एक हिस्सा होता है, जिसके बारे में कम ही लोग जानते हैं. जैसा ही LPO की फुल फॉर्म से CLEAR होता है कि इस आउटसोर्सिंग का संबंध लीगल प्रोसेस से जुड़ा हुआ है. इसमें LPO Firms, law firms और corporations को legal service प्रदान करती है. BPO और KPO की तरह इसमें भी THIRD PARTY किसी ORGANIZATION को सर्विस प्रोवाइड करती है.
बता दें कि LEGAL PROCESS OUTSOURCING फर्म किसी LAW FIRM के INHOUSE भी हो सकती है और OUTSIDE भी. इसके अलावा ये किसी दूसरे देश में भी हो सकती है जिसे OFFSHORE कहा जाता है.
LPO FIRMS पैरालीगल सपोर्ट सर्विस देती हैं जैसे-
1) Legal and corporation services
2) Immigration Support
3) Medico-Legal Service
4) Secretarial Service
5) Administrative service
6) Litigation service
7) E-Discovery
8) Document Review
9) Document Coding
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अब जानते हैं कि OUTSOURCING की जरुरत क्यों पड़ती है?
दरअसल, कोई भी कंपनी अपने किसी BUSINESS PROCESS को निम्नलिखित कारणों के कारण THIRD PARTY को आउटसोर्स करती है.
LABOR COST- आप सभी जानते हैं कि किसी कंपनी में काफी सारे प्रोसेस होते हैं तो अपने किसी काम को आउटसोर्स करने से COST में फर्क आता है जिसका सीधा असर कंपनी के revenue पर पड़ता है यानि OUTSOURCE करना सस्ता होता है.
FOCUS- अक्सर कंपनियां OUTSOURCE इसीलिए करती हैं ताकि अपने core business processes पर focus कर सके.
TIME SAVING- कंपनिया अपना समय बचाने के लिए भी OUTSOURCING करती हैं.
IMPROVE QUALITY- किसी एक्सपर्ट कंपनी (THIRD PARTY) को उसके क्षेत्र का काम देकर काम की QUALITY को IMPROVE किया जा सकता है.
मान लीजिए कोई कंपनी अपनी वेबसाइट डिजाइन करना चाहती है तो अगर वो किसी ऐसी कंपनी को ही वेबसाइट डिजाइन करने का काम सौंपती है जो इस क्षेत्र में एक्सपर्ट है तो जाहिर सी बात है और उच्च गुणवत्ता का काम ही मिलेगा.
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